5 Easy Facts About Shodashi Described

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पद्माक्षी हेमवर्णा मुररिपुदयिता शेवधिः सम्पदां या

This classification highlights her benevolent and nurturing aspects, contrasting With all the intense and moderate-fierce natured goddesses throughout the group.

The Shreechakra Yantra encourages some great benefits of this Mantra. It is far from compulsory to meditate in front of this Yantra, but if You should purchase and utilize it during meditation, it is going to give incredible Advantages for you. 

यदक्षरैकमात्रेऽपि संसिद्धे स्पर्द्धते नरः ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥८॥

An early morning bathtub is taken into account necessary, followed by adorning new clothes. The puja space is sanctified and decorated with flowers and rangoli, making a sacred Room for worship.

Devotees of Tripura Sundari interact in many rituals and methods to express their devotion and seek her blessings.

Within the sixteen petals lotus, Sodhashi, that is the shape of mom is sitting down with folded legs (Padmasana) removes every one of the sins. And fulfils each of the wishes with her sixteen types of arts.

दृश्या स्वान्ते सुधीभिर्दरदलितमहापद्मकोशेन तुल्ये ।

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

ऐसी कौन सी क्रिया है, जो सभी सिद्धियों को देने वाली है? ऐसी कौन सी क्रिया है, जो परम श्रेष्ठ है? ऐसा कौन सा योग जो स्वर्ग और मोक्ष को देने वाला? ऐसा कौन सा उपाय है जिसके द्वारा साधारण मानव बिना तीर्थ, दान, यज्ञ और ध्यान के पूर्ण सिद्धि प्राप्त कर सकता है?

The reverence for Tripura Sundari transcends mere adoration, embodying the collective aspirations for spiritual development and the attainment of worldly pleasures and comforts.

Her narratives normally highlight her position inside the cosmic fight against forces that threaten dharma, thereby reinforcing her position like a protector and upholder with the cosmic purchase.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त here होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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